चिकित्सा क्षेत्र में कॅरियर
किसी भी विद्यार्थी को अपने जीवन को सफल, सुखी एवं सम्पन्न बनाने के लिए एक ऐसा व्यवसाय चुनना होता है, जिससे उसे मानसिक संतुष्टि भी मिल सके और अपने तथा परिवार का भरण पोषण भी सम्मानजनक तरीके से कर सके। वे विद्यार्थी जिन्होंने अपनी रुचि को ध्यान में रखते हुए 10+2 में विज्ञान के साथ जीव विज्ञान विषय का चयन किया है उनके लिए कॅरियर के अनेक क्षेत्र हैं, जिनमें वह अपने उज्ज्वल भविष्य की तलाश कर सकता है। चिकित्सा क्षेत्र में कॅरियर बनाने हेतु राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाली आयोजित प्रवेश परीक्षा NEET(नेशनल एलिजीबिलीटी कम एन्ट्रेन्स टेस्ट) उत्र्तीण करना आवश्यक हैं।
एलोपैथिक चिकित्सा
पाठ्यक्रम: M.B.B.S (बेचलर ऑफ मेडिसिन एण्ड बेचलर ऑफ सर्जरी)
योग्यता: 10+2 परीक्षा में जीव विज्ञान, भौतिकी एवं रसायन विज्ञान में 50 प्रतिशत अंक NEET में प्राप्त अंकों की मेरिट के आधार पर चयन होता है और विद्यार्थी M.B.B.S की डिग्री प्राप्त कर एलोपैथिक चिकित्सक बन सकता है। राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित प्रवेश परीक्षा (NEET) के माध्यम से देश के राजकीय एवं निजी चिकित्सा महाविद्यालयों में प्रवेश दिया जाता है।
राजस्थान में राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय, जयपुर द्वारा संबंधित महाविद्यालयों में इस परीक्षा में उत्र्तीण होने के बाद चिकित्सक हेतु अध्यापन कराया जाता है।
दन्त चिकित्सा
पाठ्यक्रमः B.D.S (बेचलर ऑफ डेन्टल सर्जरी)
NEET में M.B.B.S की डिग्री के लिए सीटें पूर्ण हो जाने पर बाकी के विद्यार्थियों का चयन पुनः आगे की मेरिट के आधार बी.डी.एस. के लिए होता है और विद्यार्थी दन्त चिकित्सक बन कर अपनी सेवाएं दे सकता है।
बी.डी.एस. की डिग्री M.B.B.S के समकक्ष ही होती है।
आयुर्वेद चिकित्सा
वर्तमान समय में आयुर्वेद का प्रचार-प्रसार बहुत तेजी से हो रहा है क्योंकि आयुर्वेद चिकित्सा निरापद (NO SIDE EFFECTS) चिकित्सा पद्वति है। इसमें जड़ी बूटियों द्वारा इलाज किया जाता है। इस चिकित्सा की एक विशेषता यह भी है कि यह चिकित्सा के साथ-साथ एक सम्पूर्ण जीवन जीने की कला भी़ सिखाती है
पाठ्यक्रम: BAMS (बेचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एण्ड सर्जरी)
योग्यता: 10+2 (जीव विज्ञान, भौतिक एवं रसायन विज्ञान में 50 प्रतिशत अंक)
इस चिकित्सा पद्वति के मुख्य अध्ययन केन्द्र राजस्थान में निम्नलिखित हंै -
1. डाॅ. एस. राधाकृष्णन आयुर्वेद विश्वविद्यालय, जोधपुर।
2. मदनमोहन मालवीय राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय, उदयपुर।
3. श्री भंवरलाल दुग्गड़ आयुर्वेद विश्वभारती गंाधी विद्या मन्दिर, सरदार शहर।
4. राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान, जयपुर।
रोजगार के अवसर: आयुर्वेद के क्षेत्र में भारत सरकार के राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत राजस्थान सरकार द्वारा पी.एच.सी. पर एक आयुर्वेद चिकित्सक का पद स्वीकृत है। राजस्थान में कई आयुर्वेद औषधालय वर्तमान में कार्यशील हैं।
होम्योपैथी चिकित्सा
आज होम्योपैथी चिकित्सा के प्रति लोगों का नजरिया बदल रहा है। धीरे-धीरे यह चिकित्सा पद्धति लोकप्रिय हो रही है। इसके द्वारा असाध्य रोगों का उपचार भी संभव है, जो कि एलोपैथिक दवाओं द्वारा लाखों रू. खर्च करने के पश्चात् भी संभव नहीं हो पाता। होम्योपैथिक चिकित्सक के रूप में कॅरियर अपनाने के लिए होम्योपैथी चिकित्सा पाठ्यक्रम करना अनिवार्य है।
1. पाठ्यक्रम: BHMS (बेचलर ऑफ होम्योपैथिक मेडिसिन एण्ड सर्जरी)
अवधि: 5 वर्ष, इन्टर्नशिप 6 माह
योग्यता: 10+2 जीव विज्ञान के साथ
आयु: न्यूनतम 17 वर्ष
2. पाठ्यक्रम: डिप्लोमा इन होम्योपैथिक मेडिसिन एण्ड सर्जरी(DHMS)
अवधि: 4 वर्ष, इन्टर्नशिप 6 माह
योग्यता: 10+2 जीव विज्ञान से
आयु: न्यूनतम 17 वर्ष
विशेष - जो आवेदक डी.एच.एम.एस. पाठ्यक्रम के उपरान्त बी.एच.एम.एस. पाठ्यक्रम करना चाहते हैं उसके लिए पाठ्यक्रम की अवधि केवल दो वर्ष है।
इस चिकित्सा पद्वति के मुख्य अध्ययन केन्द्र राजस्थान में निम्नलिखित है -
1. भारतीय होम्योपैथिक मेडिकल काॅलेज एण्ड हाॅस्पीटल, भरतपुर।
2. डाॅ. मदन प्रताप खूंटेटा राजस्थान होम्योपैथिक मेडिकल काॅलेज, सिन्धी कैम्प जयपुर।
3. मांगीलाल निर्बन होम्योपैथिक मेडिकल एण्ड रिसर्च इंस्टीटयूट, बीकानेर।
4. राजस्थान विद्यापीठ होम्योपैथिक मेडिकल काॅलेज, डबोक उदयपुर।
5. स्वास्थ्य कल्याण होम्योपैथिक मेडिकल काॅलेज एण्ड रिसर्च सेन्टर, जय विला, नारायण सिंह रोड जयपुर।
6. युवराज प्रतापसिंह मेमोरियल होम्योपैिथक मेडिकल काॅलेज, अलवर।
रोजगार के अवसर
राजकीय एवं निजी चिकित्सालय में होम्योपैथिक चिकित्सक बनकर सेवाएँ दी जा सकती है। स्वयं का क्लीनिक लगाकर स्व-रोजगार प्रारंभ किया जा सकता है।
फार्मेसी में कॅरियर
विभिन्न प्रकार के रोगों के उपचार से सम्बन्धित दवाईयों के विक्रय एवं वितरण से सम्बन्धित कार्य फार्मासिस्ट द्वारा किया जाता है। इसमें रोजगार के कई अवसर उपलब्ध हैं।
पाठ्यक्रम: B.PHARMA (बेचलर ऑफ फार्मेसी)
योग्यता: 10+2 विज्ञान विषय सहित (रसायन, भौतिक के साथ गणित, जैव प्रौद्योगिकी, जीव विज्ञान)
आयु: न्यूनतम 17 वर्ष
प्रवेश: प्रवेश परीक्षा/मेरिट के आधार पर।
इस चिकित्सा पद्वति के मुख्य अध्ययन केन्द्र राजस्थान में निम्नलिखित हैं :
1. भूपाल नोबल्स काॅलेज ऑफ फार्मेसी, उदयपुर।
2. बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलोजी एण्ड साइंस, पिलानी।
3. राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय, जयपुर।
रोजगार के अवसर: सरकारी क्षेत्र एवं निजी क्षेत्र में फार्मासिस्ट को रोजगार के कई अवसर उपलब्ध होते हैं।
दवाई उत्पादन, उसके प्रचार प्रसार (एम.आर.), विक्रय आदि क्षेत्र इससे सम्बन्धित हैं।
वेटनरी चिकित्सा
भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहाँ कृषि के साथ-साथ पशुपालन भी किया जाता है जो आर्थिक दृष्टि से काफी
महत्वपूर्ण है। इन पशुओं को रोग मुक्त रखने एवं उपचार हेतु पशु चिकित्सक की आवश्यकता होती है। इस क्षेत्र
में निम्न प्रकार से कॅरियर बनाया जा सकता है।
1. पाठ्यक्रम: B.V.Sc (बेचलर ऑफ वेटेनरी सांइस)
योग्यता: 10+2 (विज्ञान विषय) 50% अंकों के साथ
अवधि: 5 वर्ष (राष्ट्रीय व राज्य स्तरीय प्रवेश परीक्षा)
1. पाठ्यक्रम: ठण्ैबण् (बेचलर ऑफ साइंस) -डेयरी उद्योग
योग्यता: 10+2
अवधि: 4 वर्ष
इस चिकित्सा पद्वति के मुख्य अध्ययन केन्द्र राजस्थान में निम्नलिखित है -
1. काॅलेज ऑफ वेटनरी एण्ड एनिमल साइंस कृषि विश्वविद्यालय, बीकानेर।
2. काॅलेज ऑफ डेयरी एण्ड फूड साइन्स टेक्नोलाॅजी, MPUAT, उदयपुर।
3. महात्मा गांधी वेटनरी काॅलेज, भरतपुर।
रोजगार के अवसर:
1. विभिन्न राजकीय, निजी तथा सहकारी संस्थाओं और चिकित्सालयों में रोजगार के कई अवसर उपलब्ध होते हैं।
2. पशु चिकित्सक स्वयं का दवाखाना संचालित कर इस क्षेत्र में आजीविका कमा सकते हैं।
दन्त तकनीशियन
दन्त तकनीशियन का काम दांतो और दन्त मरम्मत करना है। यह कृत्रिम दांतो का निर्माण व उपकरण दांतो को भरने के कार्य से संबंध रखता कई अवसर होते हंै। उपकरणों का निर्माण तथा उनकी मरम्मत विकल दन्त विज्ञान व अन्य है। अतः इस क्षेत्र दन्त तकनीशियनों को पुनः 14 माह का दन्त शिल्पकार का प्रशिक्षण भी दिया जाता है।
अवधि:- दन्त तकनीशियन (दो वर्षीय)
योग्यता:- 10+2 (विज्ञान सहित) या समकक्ष
आयु:- प्रत्याशी की आयु 17 वर्ष अवश्य होनी चाहिए तथा शारीरिक रूप से स्वस्थ्य होना चाहिए।
विस्तृत जानकारी शैक्षणिक सत्र के आरंभ होने के समय के बारे में विभिन्न दन्त महाविद्यालयों से प्राप्त की जा सकती है।
इस चिकित्सा पद्वति के मुख्य अध्ययन केन्द्र राजस्थान में निम्नलिखित है:
1. दर्शन डेन्टल काॅलेज लोयरा, उदयपुर।
2. पेसिफिक डेन्टल काॅलेज देबारी, उदयपुर।
3. गीताजंली डेन्टल काॅलेज, उदयपुर
नर्स ट्रेनिंग
नर्सिंग एक ऐसा कॅरियर है, जिसमें व्यक्ति अपने सेवाभाव व नैतिक गुणों के बल पर अपनी जीविका चला सकता है। इस कॅरियर को लड़के व लड़कियाँ दोनो अपना सकते हैं।
नर्सिंग ट्रेनिंग के मुख्य चार पाठ्यक्रम:
1. सामान्य नर्सिंग (ANM 10वीं उत्तीर्ण)
2. सामान्य नर्सिंग (GNM 10+2 उत्तीर्ण)
3. प्रसूति विद्या पाठ्यक्रम
4. (बी.एससी.) नर्सिंग (10+2 उत्तीर्ण)
आयु सीमा: 16 से 20 वर्ष (आरक्षित वर्गों के लिए नियमानुसार)
प्रवेश: निदेशालय, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सेवाएँ, जयपुर राजस्थान द्वारा नर्सिंग ट्रेनिंग में प्रवेश मेरिट के आधार पर किया जाता हैं।
पेरामेडिकल कोर्स: एक विज्ञान जो पूर्व-अस्पताल के आपातकालीन सेवाओं से संबंधित है, उसे पैरामेडिकल साइंस कहा जाता हैं। और इस क्षेत्र में काम करने वाले व्यक्ति को एक सहायक चिकित्सक के रूप में संदर्भित किया जाता है। जो उम्मीदवार पैरामेडिकल में कॅरियर बनना चाहते हैं
उनको बता दें कि पैरामेडिकल विज्ञान के क्षेत्र में काम के प्रमुख क्षेत्रों में रीढ़ की हड्डी में चोट प्रंबधन, फ्रेक्चर प्रबंधन, प्रसूति, जलने और मूल्यांकन के प्रबंधन, और सामान्य दुर्घटना के ह्श्य का मूल्यांकन करते हैं। कुशल परामर्श विशेषज्ञों की बढ़ती मांग ने युवा उम्मीदवारों के लिए कई कॅरियर के अवसर खोले हैं।
पाठ्यक्रम: जो 10 वीं, 12 वीं या स्नातक स्तर की पढ़ाई कर चुके हैं। वो पैरामेडिकल कर सकते
हैं। जो उम्मीदवार पैरामेडिकल में अपना कॅरियर बनाना चाहते हैं उनको बता दें भारत में
पैरामेडिकल पाठ्यक्रम उनको बता दें भारत में पैरामेडिकल पाठ्यक्रम 3 मुख्य स्वरूपों में उपलब्ध हैं-
· बैचलर डिग्री पाठ्यक्रम
· बैचलर डिग्री पाठ्यक्रम
· डिप्लोमा सर्टिफिकेट कोर्स
· प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम
12 वीं के बाद सर्वश्रेष्ठ पैरामेडिकल पाठ्यक्रम हैं:
· मेडिकल लैब प्रौद्योगिकी
· मेडिकल एक्स-रे टेक्नोलाॅजी
· चिकित्सा रिकाॅर्ड प्रौद्योगिकी
· ऑपेरशन थियेटर प्रौद्योगिकी
· डायलिसिस प्रौद्योगिकी
· स्वास्थ्य निरीक्षक
· नेत्र प्रौद्योगिकी